साइटिका: कारण, लक्षण, उपचार और परहेज
साइटिका (Sciatica) एक सामान्य लेकिन अत्यन्त पीड़ादायक तंत्रिका संबंधी समस्या है, जिसमें पीठ के निचले हिस्से (कमर)से लेकर नितंब (hip), पैर की मांसपेशियों ,एड़ी एवं तलवा मे तेज दर्द और कभी-कभी सूनापन और झनझनाहट महसूस होता है। यह समस्या तब उत्पन्न होती है जब साइटिक नर्व पर दबाव पड़ता है या उसमें सूजन आ जाती है।
साइटिका क्या है ?
साइटिक नर्व शरीर की सबसे लंबी तंत्रिका होती है, जो रीढ़ की हड्डी (spinal cord) से निकलकर कूल्हों और पैरों से होते हुए पंजों तक जाती है। जब यह नर्व किसी कारण से संकुचित या प्रभावित होती है, तो साइटिका की समस्या उत्पन्न होती है।
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साइटिका के मुख्य कारण :-
- हर्नियेटेड डिस्क (Herniated Disc) – रीढ़ की हड्डियों के बीच की डिस्क खिसक जाती है, जिससे साइटिक नर्व पर दबाव पड़ता है।
- स्पाइन में हड्डियों का बढ़ना (Bone Spurs) – वृद्धावस्था या गठिया के कारण हड्डियों का आकार बढ़ने से साइटिक नर्व मे दबाव से समस्या।
- स्ट्रेस और भारी वजन उठाना – अचानक भारी वजन उठाने या गलत पॉश्चर से रीढ़ के नीचले हिस्से पर दबाव।
- साइटिक नर्व में चोट – दुर्घटना या गिरने से रीढ़ की हड्डी मे चोट के कारण साइटिक नर्व को नुकसान पहुंच सकती है।
- ट्यूमर या संक्रमण – इसकी संभावना बहुत कम है, लेकिन दुर्लभ मामलों में यह भी कारण हो सकता हैं।
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साइटिका के लक्षण :-
- कमर के नीचे नितंब और पैर से एड़ी तक एक तरफ या दोनो तरफ तेज दर्द, सुनापन, झनझनाहट या जलन के साथ दर्द होना।
- बैठने या खड़े रहने पर दर्द बढ़ जाना।
- नितंबों में झनझनाहट या सुनापन।
- पैर में कमजोरी, चलने में परेशानी।
- दर्द के कारण रात को नींद की समस्या।
- लंबे समय तक बैठने या खड़े होने में कठिनाई।
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साइटिका के आयुर्वेदिक उपचार :-
आयुर्वेद में साइटिका को "गृध्रसी रोग" कहा जाता है, जो शरीर में वात के असंतुलन होने के कारण उत्पन्न होता है। इसका इलाज वात को शांत करने वाली औषधियों और पंचकर्म विधियों से किया जाता है।
साइटिका के प्रमुख आयुर्वेदिक दवाएं :-
- योगराज गुग्गुलु – वात को संतुलित करने वाली प्रमुख औषधि है। यह जोड़ों और तंत्रिकाओं की सूजन को कम करती है।
सेवन विधि :- 1–2 गोली, दिन में 2 बार गुनगुने
पानी के साथ भोजन के बाद लें।
- महायोगराज गुग्गुलु – इसमें आयुर्वेदिक खनिज भी होते हैं, जो मांसपेशियों को मजबूती देता हैं और दर्द से राहत देता हैं।
- वातविध्वंसक रस – यह वातजनित रोगों को नष्ट करने वाला एक शक्तिशाली औषधि है।
- विषगर्भा तेल – इस तेल से कमर और इससे नीचे के हिस्से पर मालिश करने से नर्व और मांसपेशियों को आराम मिलता है।
- दशमूल क्वाथ – यह दस जड़ी-बूटियों के संयोजन से बना है,जो शरीर में सूजन और वात दोष को शांत करता है।
सेवन विधि :- सुबह-शाम 30-40 ml गर्म पानी के
साथ।
पंचकर्म थेरेपी :-
- स्नेहन (तेल मालिश) – वातशामक तेल जैसे महा नारायण तेल से नियमित मालिश करें।
- स्वेदन (स्टीम थेरेपी) – मालिश के बाद भांप देने से मांसपेशियों की अकड़न कम होती है।
- बस्ती (औषधीय एनिमा) – यह साइटिका में सबसे प्रभावी पंचकर्म है। यह नर्व पर सीधे असर करता है।
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साइटिका के घरेलू नुस्खे :-
- लहसुन का सेवन - लहसुन की 2-3 कलियां सुबह खाली पेट चबाएं या गर्म दूध में उबालकर पिएं।
लहसुन नर्व टॉनिक की तरह काम करता है और सूजन
को कम करता है।
- हल्दी दूध - रात को सोने से पहले एक गिलास गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी मिलाकर सेवन करें।यह एक प्राकृतिक एंटी-इंफ्लेमेटरी है।
- मेथी के दाने - एक चम्मच मेथी दानों को रातभर भिगोकर सुबह खाली पेट चबाएं।यह जोड़ों के दर्द और सूजन में राहत देता है।
- अजवाइन और सौंठ का काढ़ा - एक चम्मच अजवाइन + एक चम्मच सौंठ को दो कप पानी में धीमी आंच में पानी आधा होने तक उबालें और गुनगुना या पीने योग्य ठंडा हो जाने पर छानकर पिएं।यह काढ़ा वात और दर्द दोनों में लाभकारी है।
- गर्म नमक की पोटली से सेंक - मोटे नमक को तवे पर गर्म करें, सूती कपड़े में बांधकर प्रभावित हिस्से पर सेंक करें।
- नीम और अरंडी के पत्ते का लेप - नीम व अरंडी के पत्तों को पीसकर गर्म करें और प्रभावित स्थान पर लगाएं।
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साइटिका में योग एवं व्यायाम :-
चेतावनी: कोई भी योग आसन प्रशिक्षित योगगुरु की देखरेख में करें यदि आप गंभीर दर्द से पीड़ित हैं।
लाभकारी योगासन :-
- भुजंगासन (Cobra Pose) - पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करता है और रीढ़ को लचीलापन देता है।
विधि :- पेट के बल पैर को सीधा करके लेटें, दोनो
हाथ को कंधों के पास रखें और हाथ के बल से पैर को
जमीन पर सीधा रखते हुए,कमर से उपर का हिस्सा
धीरे-धीरे उठाएं।
- पवनमुक्तासन (Wind-Relieving Pose) - गैस और कब्ज की समस्या को दूर करता है, जिससे साइटिका में राहत मिलती है।
विधि :- पीठ के बल लेटकर एक या दोनों पैरों को
मोड़े और घुटनों को पेट की ओर लाकर दोनो हाथों से
घुटनों को जकड़े और सिर घुटनों से लगाएं।
- शलभासन (Locust Pose) - साइटिक नर्व पर दबाव कम करता है और पीठ के निचले हिस्से को मजबूती देता है।
- मकरासन (Crocodile Pose) - यह विश्राम की मुद्रा है और साइटिका दर्द के दौरान आराम देती है।
- सेतु बंधासन (Bridge Pose) - रीढ़ की हड्डी और निचले भाग को सहारा देता है और नर्व को खोलता है।
- अर्धमत्स्येन्द्रासन (Half Spinal Twist) - यह आसन साइटिका के दर्द में बेहद लाभकारी है, लेकिन प्रारंभिक अवस्था में न करें।
अन्य व्यायाम :-
- Cat-Cow Stretch (मरजरी आसन) – रीढ़ की गतिशीलता बढ़ाता है।
- Hamstring Stretching – पीछे की मांसपेशियों को फैलाने से साइटिका में राहत मिलती है।
साइटिका में परहेज :-
- भारी वजन उठाने से बचें।
- लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठने से परहेज करें।
- अधिक तकिए लगाकर या झुककर सोने की आदत से बचें।
- ठंडी जगह में बैठने या सीधी हवा लगने से बचें।
- अधिक मिर्च-मसाले और तली-भुनी चीजों का सेवन न करें।
- शराब और धूम्रपान से परहेज करें – ये नर्व डैमेज को और बढ़ा सकते हैं।
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सावधानियां और सलाह :-
- यदि दर्द लगातार 4–6 हफ्तों से अधिक बना रहे, तो तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें।
- साइटिका की शुरुआत में ही योग, मसाज और आयुर्वेदिक उपायों से राहत पाना आसान होता है।
- कमर को सपोर्ट देने वाले गद्दे पर सोएं और हमेशा सही मुद्रा में बैठें।
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निष्कर्ष :-
साइटिका एक कष्टदायक समस्या जरूर है, लेकिन यदि समय रहते इसका कारण पहचाना जाए और उचित उपचार व परहेज किया जाए, तो इससे पूरी तरह राहत संभव है। आयुर्वेद, योग और अच्छी जीवनशैली से इस समस्या को जड़ से खत्म कर सकते हैं।
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