शरीर में स्टोन,कारण, लक्षण, समस्या और आयुर्वेदिक उपचार :-
शरीर के आंतरिक अंगों में स्टोन (पथरी) बनने की समस्या आजकल आम होती जा रही है। पथरी कई प्रकार की हो सकती है ,और अलग-अलग अंगों मे बन सकती है। समय पर इसकी पहचान और उचित उपचार से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। इस लेख में हम जानेंगे स्टोन होने के कारण, प्रकार,लक्षण, समस्याएं, आयुर्वेदिक उपचार व घरेलू नुस्खे के बारे में।
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-: स्टोन के प्रकार और स्थान :-
1. किडनी (गुर्दे/वृक्क) की पथरी (Kidney Stone)
स्थान :- किडनी या मूत्र मार्ग में
प्रकार :- कैल्शियम ऑक्जेलेट, यूरिक एसिड,
स्ट्रुवाइट, सिस्टीन् स्टोन।
** कैल्शियम ऑक्जलेट स्टोन **
- यह सबसे आम प्रकार का किडनी स्टोन है , और लगभग 80% किडनी स्टोन रोगी मे यह होता हैं।
- यह तब बनता है जब मूत्र में कैल्शियम और ऑक्जलेट की मात्रा अधिक होती है।
- कुछ खाद्य पदार्थ, जैसे कि चुकंदर, पालक और नट्स, में ऑक्जलेट की मात्रा अधिक होती है और इनके अधिक सेवन से कैल्शियम ऑक्जलेट स्टोन बनने की संभावना बढ़ जाती है.
** यूरिक एसिड स्टोन **
- यह तब बनता है जब शरीर यूरिक एसिड बढ़ जाता है, और यह यूरिन में क्रिस्टल के रूप में जमा हो जाता है।
- यूरिक एसिड स्टोन सामान्यतः प्रोटीन से भरपूर आहार अधिक खाने वाले लोगों में बनते हैं.
- आहार में बदलाव और दवाओं का सेवन करके यूरिक एसिड के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे यूरिक एसिड स्टोन बनने का खतरा कम हो जाता है.
**स्ट्रुवाइट स्टोन**
- स्ट्रुवाइट स्टोन आमतौर पर मूत्र मार्ग मे संक्रमण के कारण बनता हैं।
- यह मैग्नीशियम, अमोनियम और फॉस्फेट से बना होता है।
- स्ट्रुवाइट स्टोन अक्सर तेज़ी से बढ़ता हैं, और अगर वो बड़ा हो जाता हैं ,तो नुकसान पहुंचा सकता हैं।
** सिस्टीन स्टोन**
- सिस्टीन स्टोन एक आनुवंशिक विकार "सिस्टिन्युरिया" के कारण बनता हैं, जिसमें सिस्टीन नामक अमीनो एसिड की अधिकता होती है.
- सिस्टीन स्टोन रोगी बहुत ही कम होते हैं, यह एक अनुवांशिक बिमारी है।सिस्टीन स्टोन उन व्यक्तियों को होने की संभावना है, जिनके परिवार मे इस समस्या इतिहास रहा हो।
किडनी स्टोन के प्रकार का पता लगाने के लिए, डॉक्टर रक्त परीक्षण, मूत्र परीक्षण, या इमेजिंग टेस्ट जैसे कि एक्स-रे या सीटी स्कैन का उपयोग कर सकते हैं। किडनी स्टोन का इलाज स्टोन के प्रकार, आकार और स्थान के आधार पर अलग-अलग हो सकता है।
2. पित्ताशय की पथरी (Gallbladder Stone)
स्थान :- पित्ताशय में
प्रकार :- कोलेस्ट्रॉल स्टोन, पिग्मेंट(वर्णक) स्टोन,
मिश्रित स्टोन।
** कोलेस्ट्रॉल स्टोन**
ये स्टोन कोलेस्ट्रॉल के कारण बनते हैं और पित्ताशय स्टोन का सबसे आम प्रकार हैं. कोलेस्ट्रॉल मोम के जैसा एक प्रकार का अघुलनशील वसा होता है और जब यह पित्त में जमा होता है, तो यह धीरे-धीरे पथरी का रुप ले लेता है।
** वर्णक स्टोन**
ये स्टोन बिलीरुबिन और कैल्शियम लवण के कारण बनते हैं। यह स्टोन पित्त में बहुत अधिक बिलीरुबिन बढ़ने से बनता है। इसका रंग गहरा भूरा या काला हो सकता है।
**मिश्रित स्टोन**
ये स्टोन कोलेस्ट्रॉल और वर्णक दोनों से बने होते हैं. वे कोलेस्ट्रॉल और वर्णक स्टोन दोनों के लक्षणों के मिश्रण से जुड़े हो सकते हैं.
3.लार ग्रंथि की पथरी (Salivary Gland Stone)
स्थान :- मुंह की लार ग्रंथियों में
तीन मुख्य प्रकार की लार ग्रंथियां :-
पैरोटिड ग्रंथि :- कान के सामने स्थित होती हैं।
* ग्रंथि स्टोन का 10-15% स्टोन इसी
ग्रंथि मे होता है।
सबमंडिबुलर ग्रंथि :- निचले जबड़े के नीचे स्थित होता
हैं।
* ग्रंथि स्टोन में 80-90% स्टोन इसी
ग्रंथि मे होता है।
सबलिंगुअल ग्रंथि :- जीभ के नीचे स्थित होती हैं।
* इसमें स्टोन की संभावना कम होती
है।
लार ग्रंथि स्टोन के बारे में अधिक जानकारी :-
- लार ग्रंथियों में स्टोन "खनिज" जमा के कारण बनते हैं।
- लार ग्रंथियों में स्टोन का मुख्य कारण अज्ञात है।
- लार ग्रंथियों में स्टोन के कारण लार के प्रवाह में रुकावट हो सकती है, जिससे सूजन, दर्द और संक्रमण हो सकता है।
- लार ग्रंथि स्टोन का इलाज सर्जरी से किया जाता है।
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पथरी बनने के सामान्य कारण :-
- पानी की कमी (कम मात्रा में पानी पीना)।
- अत्यधिक नमक व प्रोटीनयुक्त भोजन।
- कैल्शियम या ऑक्जेलेट अधिक मात्रा में लेना।
- मोटापा और डायबिटीज़।
- अनुवांशिक कारण।
- पित्ताशय या मूत्रमार्ग की रुकावट।
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* * लक्षण (Symptoms)**
किडनी स्टोन के लक्षण :-
- पीठ या कमर में तेज़ दर्द।
- पेशाब में जलन या खून आना।
- बार-बार पेशाब आना।
गॉलब्लैडर स्टोन के लक्षण :-
- दाहिनी ओर पेट में दर्द।
- मतली, उल्टी।
- भारीपन और अपच।
ब्लैडर स्टोन के लक्षण :-
- पेशाब रुक-रुक कर आना।
- पेट के निचले हिस्से में दर्द।
लार ग्रंथि स्टोन के लक्षण :-
- मुंह में सूजन।
- खाना खाते समय दर्द।
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पथरी से उत्पन्न समस्याएं :-
- पेशाब रुक जाना (Renal failure तक हो सकता है)।
- इन्फेक्शन।
- पाचन तंत्र की खराबी।
- बार-बार दर्द और सूजन।
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-: आयुर्वेदिक उपचार :-
वरुण (Crataeva nurvala)
- मूत्रमार्ग की रुकावट दूर करता है।
- पथरी को तोड़ने और बाहर निकालने में सहायक।
गोक्षुर (Tribulus terrestris)
- पेशाब की जलन और पथरी के दर्द में राहत।
पाषाणभेद (Bergenia ligulata)
- स्टोन को तोड़ने की शक्ति रखता है।
भृंगराज और पुनर्नवा
- किडनी फंक्शन को बेहतर करते हैं।
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-: आयुर्वेदिक फार्मुले :-
- गोक्षुरादि गुग्गुलु
- चंद्रप्रभा वटी
- पुनर्नवासव
(डॉक्टर से परामर्श आवश्यक)
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-: घरेलू नुस्खे :-
- नींबू + जैतून तेल (Lemon + Olive Oil)
1 चम्मच नींबू रस व 1 चम्मच जैतून का तेल मिलाकर सुबह-शाम लें।
- धनिया पानी (Coriander water)
रात को भिगोया धनिया सुबह उबाल कर पीएं।
- अजवाइन + शहद
1/2 चम्मच अजवाइन चूर्ण + शहद दिन में 2 बार लें।
- नारियल पानी
किडनी को साफ करता है और स्टोन को बाहर निकालने में मदद करता है।
- घिया का रस
गॉलब्लैडर स्टोन में लाभदायक।
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**सावधानियां**
- दिन में कम से कम 2–3 लीटर पानी जरूर पिएं।
- अत्यधिक नमक, चाय-कॉफी और ऑक्जलेट युक्त खाद्य से बचें।
- नियमित व्यायाम करें।
- डॉक्टरी सलाह लें, खासकर अगर दर्द लगातार बना रहे
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निष्कर्ष :-
शरीर में पथरी गंभीर समस्या बन सकती है, लेकिन आयुर्वेद और घरेलू नुस्खों की मदद से इसे प्रारंभिक अवस्था में रोका और ठीक किया जा सकता है। यदि समस्या ज्यादा बढ़ जाए, तो बिना समय गंवाए डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है।
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