🔶 जोंडिस क्या है ?
जोंडिस को हिन्दी में पीलिया कहा जाता है। यह एक लिवर से संबंधित विकार है, जिसमें त्वचा, आंखों की सफेदी और पेशाब का रंग पीला पड़ जाता है। यह स्थिति शरीर में बिलीरुबिन नामक पीले वर्णक के असामान्य रूप से बढ़ने के कारण होती है।
🧪 बिलीरुबिन क्या है और इसकी भूमिका?
बिलीरुबिन शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं (RBC) के टूटने से बनता है। लिवर इसे प्रोसेस करके शरीर से बाहर निकालता है।
♻️ बिलीरुबिन के दो प्रकार होते हैं :-
1. अनकंजुगेटेड बिलीरुबिन : यह बिलीरुबिन का प्रारंभिक रूप हैं।यह वसा में घुलनशील होता है, पानी में घुलनशील ना होने के कारण यह शरीर से बाहर नहीं निकल सकता हैं।
2. कंजुगेटेड बिलीरुबिन : लिवर अनकंजुगेटेड बिलीरुबिन को प्रोसेस करके पानी में घुलनशील योग्य बनाता है, ताकि यह पेशाब या मल के माध्यम से बाहर निकल सके।
* यदि इस प्रक्रिया में कोई बाधा आती है, तो खून में बिलीरुबिन बढ़ जाता है। इस प्रकार खून में बिलीरुबिन के बढ़ने से जोंडिस हो जाता है।
🙍 शरीर में बिलीरुबिन बढ़ने से होने वाली
समस्याएं :-
🔺जोंडिस (पीलिया) - त्वचा और आंखें पीली हो जाती हैं।
🔺लिवर रोग - हेपेटाइटिस, सिरोसिस, फैटी लिवर आदि।
🔺पित्त नली में रुकावट - पथरी या ट्यूमर।
🔺रक्त विकार - हीमोलिटिक एनीमिया जिसमें RBCs तेजी
से टूटते हैं।
📊बिलीरुबिन की सामान्य सीमा (Normal
Range) :
प्रकार सामान्य सीमा (Adults)
Total Bilirubin। 0.3 – 1.2 mg/dL
Direct Bilirubin। 0.1 – 0.3 mg/dL
Indirect Bilirubin 0.2 – 0.9 mg/dL
* अगर बिलीरुबिन 2.5 mg/dL से ऊपर चला जाए, तो पीलिया के लक्षण दिखने लगते हैं।
🧫 जोंडिस के प्रकार
🔸Hepatocellular Jaundice - लिवर संक्रमण
जैसे हेपेटाइटिस के कारण
🔸Obstructive Jaundice - पित्त नली में रुकावट
(पथरी, ट्यूमर आदि)
🔸Hemolytic Jaundice - RBC का अधिक टूटना
और लिवर पर भार
🔸Neonatal Jaundice - नवजात शिशुओं में जन्म के
बाद कुछ दिन
⚠️ जोंडिस के मुख्य कारण
1. हेपेटाइटिस A, B, C, D, E – लिवर संक्रमण
2. लिवर सिरोसिस – अधिक शराब या अन्य कारणों से
3. पित्त नलिका में रुकावट – पथरी या ट्यूमर
4. हेमोलिटिक एनीमिया – लाल रक्त कोशिकाओं का
अधिक टूटना
5. नवजात पीलिया – शिशुओं में आम समस्या
🔍 जोंडिस के लक्षण
🔹आंखों की सफेदी का पीला होना
🔹त्वचा का पीलापन
🔹गहरे रंग का पेशाब
🔹हल्के रंग का मल
🔹भूख में कमी
🔹मतली या उल्टी
🔹थकान और कमजोरी
🔹पेट के दाहिने हिस्से में दर्द
🔎जोंडिस की जाँच कैसे होती है?
🩺Liver Function Test (LFT) - बिलीरुबिन,
SGPT, SGOT, ALP आदि की जांच।
🔬CBC (Complete Blood Count) - संक्रमण
और एनीमिया की पुष्टि के लिए।
🩻Ultrasound / CT Scan - लिवर, गॉल ब्लैडर या
पित्त नली में रुकावट की जानकारी के लिए।
🧪Viral Markers (HBsAg, Anti-HCV आदि) -
हेपेटाइटिस की पुष्टि के लिए।
🛡️ बचाव के उपाय
🔸साफ, उबला या RO पानी पिएं
🔸बाहर का तला-भुना या संक्रमित खाना न खाएं
🔸शराब, धूम्रपान और नशीली पदार्थ का सेवन ना करें
🔸हेपेटाइटिस वैक्सीन अवश्य लगवाएं
🔸लिवर की नियमित जांच कराएं
🔸व्यक्तिगत स्वच्छता का पालन करें
🏠 घरेलू नुस्खे (सावधानी के साथ)
⚠️ नोट: ये उपाय केवल हल्की स्थिति में लाभदायक हैं। गंभीर स्थिति में डॉक्टर से सलाह लेना अनिवार्य है।
▪️गन्ने का रस - दिन में 2-3 बार, लिवर डिटॉक्स में सहायक
▪️तुलसी + नींबू पानी - संक्रमण में राहत
▪️अदरक और शहद - सूजन व जी मिचलाने में आराम
▪️आंवला रस - लिवर की सूजन में लाभदायक
▪️पपीते की पत्तियों का रस - पाचन और लिवर के लिए
उपयोगी
🌿 आयुर्वेदिक उपचार
✳️भृंगराज रस/चूर्ण - लिवर की कोशिकाओं का पोषण
करता है।
✳️त्रिफला चूर्ण - पाचन और विषहरण में सहायक।
✳️कुटकी चूर्ण - एक प्रभावशाली लिवर टॉनिक।
✳️लिव-52, पुनर्नवाडी मंडूर - डॉक्टर की सलाह से ही लें।
🍲 क्या खाएं और क्या नहीं?
✔️ सेवन करें :-
1. आंवला, गिलोय, और एलोवेरा का रस – लिवर को मजबूत
बनाते हैं।
2. फलों का रस ( गन्ना और मौसमी) – पाचन ठीक करते हैं
और शरीर को ठंडक देते हैं।
3. नींबू पानी, नारियल पानी - शरीर को हाइड्रेट रखता है और
टॉक्सिक पदार्थ को बाहर निकालता है।
4. मूंग की दाल, खिचड़ी - सुपाच्य भोजन है, जिससे पाचन
जल्दी होता है और पाचन तंत्र की रिकवरी होती हैं।
5. सेब, पपीता, तरबूज जैसे फल - पाचन सही करता है और
शरीर को डिटॉक्स करने में सहायक है।
❌ परहेज करें :-
🔸तली-भुनी, मसालेदार चीजें
🔸रेड मीट, अंडा, अधिक तेल
🔸शराब, सिगरेट
🔸डिब्बाबंद या प्रोसेस्ड फूड
💡 जोंडिस में जीवनशैली कैसे रखें?
✔️ भरपूर नींद और आराम लें
✔️ हल्का भोजन करें
✔️ पानी अधिक मात्रा में पिएं (3-4 लीटर/दिन)
✔️ तेज धूप और गर्मी से बचें
✔️ कठिन व्यायाम न करें, केवल हल्की वॉक करें
✔️ मानसिक तनाव से बचें
❓ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Q1. क्या जोंडिस संक्रामक होता है?
➤ हेपेटाइटिस A, E संक्रमित भोजन या पानी से फैलते हैं।
B और C रक्त या यौन संपर्क से।
Q2. क्या दूध पी सकते हैं?
➤ हां, उबला और गरम दूध सीमित मात्रा में पिया जा सकता
है।
Q3. जोंडिस कितने समय में ठीक होता है?
➤ हल्के मामलों में 1-2 हफ्ते, जबकि गंभीर मामलों में 4-6
हफ्ते या अधिक।
Q4. क्या एक्सरसाइज कर सकते हैं?
➤ नहीं, शरीर को पूर्ण विश्राम की आवश्यकता होती है।
📌 निष्कर्ष
जोंडिस केवल एक लक्षण नहीं, बल्कि लिवर की गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है। यदि इस बिमारी का समय पर उपचार न किया जाए तो यह लिवर को स्थायी नुकसान पहुंचा सकता है। घरेलू नुस्खे, आयुर्वेदिक औषधियां और उचित आहार-विश्राम से यह स्थिति नियंत्रण में आ सकती है। लेकिन अगर मरीज की तबीयत ज्यादा गंभीर हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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