महिलाओं में श्वेत प्रदर (Leucorrhoea) :- कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार।
श्वेत प्रदर, जिसे अंग्रेजी में Leucorrhoea और बोल चाल की भाषा में सफेद पानी जाना कहा जाता है। यह महिलाओं में होने वाली एक सामान्य समस्या हैं। यदि समय रहते इसका उपचार न किया जाए तो यह अन्य स्त्री रोगों का कारण बन सकती है। यह रोग तब होता है जब योनि से अत्यधिक सफेद या पीला स्राव निकलता है, जो कई बार बदबूदार भी हो सकता है। यह समस्या युवतियों से लेकर विवाहिता व गर्भवती महिलाओं तक को प्रभावित कर सकती है।
⚠️ श्वेत प्रदर के प्रकार :-
फिजियोलॉजिकल ल्युकोरिया (Physiological
Leukorrhea)
🔹यह सामान्य और हार्मोनल परिवर्तनों के कारण होता है।
जैसे - मासिक धर्म से पहले या बाद में,गर्भावस्था के
दौरान,यौवन या रजोनिवृत्ति के समय।
पैथोलॉजिकल ल्युकोरिया (Pathological
Leukorrhea)
🔹यह संक्रमण, पोषक तत्वों की कमी, या अन्य बीमारियों के
कारण होता है। इसमे स्त्राव के साथ दुर्गंध, खुजली, जलन
आदि लक्षण होते हैं।
✅श्वेत प्रदर के प्रमुख कारण :-
1. हार्मोनल असंतुलन – एस्ट्रोजन की अधिकता या कमी।
2. अस्वच्छता – गुप्तांगों की ठीक से सफाई न करना।
3. संक्रमण – योनि में फंगल और बैक्टीरियल संक्रमण (जैसे
कैंडिडा, गोनोरिया, ट्रिकोमोनास)या यौन संचारित रोग
(STD)।
4. पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिजीज (PID) - महिला के गर्भाशय,
फैलोपियन ट्यूब, अंडाशय या पेट के निचले हिस्से के अंदर
संक्रमण ।
5. अत्यधिक मानसिक तनाव – चिंता, तनाव या नींद की
कमी।
6. अनियमित मासिक धर्म – जिससे योनि में स्राव असामान्य
हो जाता है।
7. बार बार गर्भपात या गर्भनिरोधक दवाओं का सेवन।
8. पोषण की कमी – शरीर में विटामिन B, C और आयरन
की कमी।
9.गलत जीवनशैली।
10.अत्यधिक मसालेदार, तैलीय और खट्टी चीजों का सेवन।
11. पाचन तंत्र की कमजोरी या कब्ज।
🩺 लक्षण (Symptoms):-
🔹सफेद, पीला या हल्का हरा स्राव।
🔹योनि क्षेत्र में खुजली और जलन।
🔹कमर और पेट के निचले हिस्से में दर्द।
🔹कमजोरी और चक्कर आना।
🔹मूड में चिड़चिड़ापन।
🔹भूख कम लगना।
🔹अधिक मात्रा में स्राव होने पर अंडरगार्मेंट्स गीले रहना।
👾जटिलताएं (यदि इलाज न हो तो)
🔹बांझपन (Infertility) की संभावना।
🔹गर्भाशय व योनि संक्रमण का खतरा।
🔹मासिक धर्म में अनियमितता।
🔹यौन जीवन में परेशानी।
🪴श्वेत प्रदर का आयुर्वेदिक दृष्टिकोण :-
आयुर्वेद में इसे श्वेत प्रदर कहा गया है। यह रोग तब उत्पन्न होता है जब शरीर में कफ दोष और पित्त दोष का असंतुलन हो जाता है। जिससे योनि मार्ग में स्राव बढ़ जाता है।
🌿🏡आयुर्वेदिक उपचार एवं घरेलू नुस्खे :-
1. लोध्रासव :-
🔹दिन में दो बार, भोजन के बाद 10-15 ml लें।
🔹यह गर्भाशय को मजबूत करता है और स्राव को नियंत्रित
करता है।
2. अशोकारिष्ट :-
🔹15-20 ml दिन में दो बार।
🔹मासिक धर्म को नियमित करता है और प्रदर में लाभकारी
है।
3. शतावरी चूर्ण :-
🔹आधा चम्मच चूर्ण दूध के साथ सुबह-शाम लें।
🔹स्त्री रोगों के लिए बेहद उपयोगी।
4. गुड़ + सौंफ का सेवन :-
🔹रोजाना सुबह एक चम्मच सौंफ में थोड़ा गुड़ मिलाकर
सेवन करें।
5. धोने के लिए त्रिफला काढ़ा या नीम पानी :-
🔹योनि की सफाई के लिए त्रिफला या नीम का हल्का गर्म
पानी उपयोग करें।
6. धातकी पुष्प (Dhataki Flower) :-
🔹यह गर्भाशय को स्वस्थ रखता है और योनि स्राव को
नियंत्रित करता है।
🔹इसका काढ़ा या चूर्ण दूध/गुनगुने पानी के साथ लें।
7. आंवला :-
🔹विटामिन C से भरपूर आंवला इम्यूनिटी बढ़ाता है और
श्वेत प्रदर में लाभकारी होता है।
🔹आंवला रस या चूर्ण का सेवन करें।
8. केला और देशी घी :-
🔹एक पका हुआ केला घी के साथ खाने से श्वेत प्रदर में
राहत मिलती है।
9. धनिया पानी :-
🔹रातभर भीगे धनिया को सुबह छानकर पानी पीने से लाभ
मिलता है।
10. फिटकरी:-
🔹फिटकरी के पानी से योनि की सफाई करने से बैक्टीरिया
मरते हैं।
नोट:- घरेलू उपायों के साथ चिकित्सकीय सलाह अवश्य लें
विशेषकर अगर समस्या लंबे समय तक बनी रहे।
🛡️सावधानियां और परहेज :-
🔹तैलीय, मसालेदार और अत्यधिक खट्टी चीजों से बचें।
🔹नियमित रूप से स्नान करें और योनि की सफाई पर ध्यान
दें।
🔹तंग और सिंथेटिक अंडरगार्मेंट्स पहनने से बचें।
🔹मानसिक तनाव से बचें और योग/प्राणायाम करें।
🔹अधिक पानी पिएं और फलों/हरी सब्जियों का सेवन
करें।
🔹मासिक धर्म के समय स्वच्छ पैड का प्रयोग करें और
समय पर बदलें
🧘योग एवं प्राणायाम :-
🔹भुजंगासन, पवनमुक्तासन, बद्धकोणासन स्त्री रोगों में
लाभकारी हैं।
🔹अनुलोम-विलोम व भ्रामरी प्राणायाम मानसिक तनाव
कम करते हैं।
⚕️ कब डॉक्टर से संपर्क करें ?
🔹यदि स्राव अत्यधिक हो रहा है।
🔹अगर स्त्राव के साथ तेज दुर्गंध, खुजली, जलन या बुखार
हो।
🔹स्राव में खून या बदरंग गाढ़ापन दिखे।
🔹समस्या एक सप्ताह से अधिक बनी रहे।
📝निष्कर्ष :-
श्वेत प्रदर कोई शर्माने वाली बीमारी नहीं है, बल्कि समय रहते सही इलाज और जीवनशैली से इससे पूरी तरह छुटकारा पाया जा सकता है। आयुर्वेदिक दृष्टिकोण अपनाकर न सिर्फ इसका समाधान संभव है, बल्कि महिला स्वास्थ्य को भी संतुलित रखा जा सकता है।
🔔 Disclaimer :- यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी प्रकार की दवा या उपचार से पहले योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें