लीवर रोगों का सम्पूर्ण आयुर्वेदिक उपचार: डॉ. श्रीनिवासराव की पुस्तक के अनुसार मार्गदर्शन
परिचय : लीवर स्वास्थ्य क्यों है आवश्यक?
लीवर (Yakrit) मानव शरीर का सबसे बड़ा आंतरिक अंग है जो पाचन, विषहरण, और पोषक तत्त्वों के भंडारण जैसे महत्वपूर्ण कार्य करता है। लेकिन आजकल बदलती जीवनशैली, मिलावटी भोजन और मानसिक तनाव के चलते लीवर की बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। लीवर से ही पित्त रस बनता है और जब पित्त असंतुलित होता है, तो यह लीवर को सबसे पहले प्रभावित करता है।
डॉ. पेडप्रोलु श्रीनिवासराव द्वारा लिखित पुस्तक"Diseases of Liver & Ayurvedic Treatment" इसी विषय पर आधारित है और आयुर्वेद के माध्यम से लीवर रोगों के सम्पूर्ण समाधान को प्रस्तुत करती है।
लीवर की प्रमुख बीमारियां और उनके कारण:
रोग का नाम | संक्षिप्त विवरण | प्रमुख कारण |
---|---|---|
हेपेटाइटिस A/B/C | वायरस से लिवर मे सूजन | दूषित भोजन/पानी, संक्रमण |
फैटी लिवर | लिवर में अत्यधिक वसा जमा होना | अधिक तला-भुना भोजन, शराब, मोटापा |
सिरोसिस | लिवर ऊतकों का कठोर हो जाना | पुराना हेपेटाइटिस, शराब |
जॉन्डिस (पीलिया) | त्वचा/आंखो में पीलापन | पित्त का संचित होना |
आयुर्वेद में लीवर रोगों की समझ:
आयुर्वेद लीवर को “यकृत” नाम से जानता है, जो शरीर में पित्त के संतुलन का केंद्र है। जब यह संतुलन बिगड़ता है, तो लीवर पर सीधा असर पड़ता है। इस पुस्तक के अनुसार लीवर के रोगों को पित्तजन्य विकार माना जाता है और इनका इलाज वात-पित्त-कफ दोषों के संतुलन से किया जाता है।
डॉ. श्रीनिवासराव के अनुसार आयुर्वेदिक उपचार:
1. आयुर्वेदिक औषधियां :
- भृंगराज : लिवर टॉनिक, पीलिया और हेपेटाइटिस में उपयोगी।
- भूमि आंवला (Phyllanthus niruri): हेपेटाइटिस B और C में लाभदायक।
- कटुकी (Picrorhiza kurroa): पित्त नियंत्रित करने और लिवर री-जेनरेशन में सहायक।
- आरोग्यवर्धिनी वटी: फैटी लिवर और सिरोसिस के लिए असरदार।
- त्रिफला : शरीर के दोषों को संतुलित कर पाचन सुधारता है।
2. पंचकर्म उपचार :
- विरेचन: पित्त दोष को बाहर निकालने की शुद्धिकरण प्रक्रिया।
- बस्ती : औषधीय एनिमा के माध्यम से आंतरिक सफाई।
- अभ्यंग व स्वेदन : तेल मालिश और भाप चिकित्सा।
- आहार और जीवनशैली संबंधी सुझाव :
क्या खाएं | क्या न खाएं |
---|---|
ताजा फल, पपीता, अनार, नारियल पानी | तला-भुना, प्रोसेस्ड फूड, रेड मीट |
मूंग दाल की खिचड़ी, हल्का भोजन | शराब, धूम्रपान |
गिलोय का रस, आंवला, हल्दी दूध | मसालेदार भोजन |
गर्म पानी, छाछ | कोल्ड ड्रिंक, आइसक्रीम |
- योग और प्राणायाम: अनुलोम-विलोम, कपालभाति, भुजंगासन, पश्चिमोत्तानासन, नियमित वॉक
पुस्तक की विशेषताएं :
- आधुनिक रोग पहचान और आयुर्वेदिक उपचार का संतुलन।
- प्रमुख लीवर रोगों का विस्तारपूर्वक विवरण।
- सटीक औषधियां और प्रयोग विधियां।
- व्यावहारिक पंचकर्म मार्गदर्शन।
निष्कर्ष:
डॉ. पेडप्रोलु श्रीनिवासराव की पुस्तक "Diseases of Liver & Ayurvedic Treatment" आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा का अनूठा संगम है। इस पुस्तक में दी गई जानकारी उन सभी लोगों के लिए उपयोगी है जो प्राकृतिक तरीके से लीवर को स्वस्थ बनाए रखना चाहते हैं।
प्रस्तावना :
यदि आप इस विषय पर और जानकारी चाहते हैं या पुस्तक प्राप्त करना चाहते हैं, तो कमेंट करें या हमसे संपर्क करें।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें